आज हम जानेंगे Mitti Dene Ki Dua के बारे में। मिट्टी देने की दुआ एक काफी नेक और खूबसूरत दुआ है। जब कोई इंसान इस दुनिया से गुजर जाता है तो फिर वो इस खेल से निकलकर असल दुनिया में पहुँचता है।
हम सभी को एक दिन तो खुदा की इस कायनात से निकलकर इस मिटटी में मिल जाना है। इसलिए जब आप किसी जनाजे में जाते हैं जुदा होने वाले को मिट्टी दी जाती है और मिट्टी देने की दुआ पढ़ी जाती है।
इसलिए जब आप कहीं पर भी जनाजे में जाए तो मिट्टी देने की दुआ ज़रूर पढ़ें। हमारा मकसद इस पोस्ट में आपको मिट्टी देने की दुआ सिखाने का है जिस से आप किसी भी जनाजे में जाए तो यह दुआ पढ़ सके।
इस पोस्ट में हमने मिट्टी देने की दुआ हिंदी में, अरबी में और इंग्लिश में तजुरमे के साथ बताया है और मिटटी देने का इस्लामिक तरीका भी बताया है। इसीलिए इस पोस्ट को ध्यान से आखिरी तक पढ़िए।
Mitti Dene Ki Dua – मिट्टी देने की दुआ
जब हम किसी अपने को अलविदा कहते हैं, तो वो लम्हा बेहद emotional होता है। इस्लाम में, दफ़न के वक़्त पढ़ी जाने वाली मिट्टी देने की दुआ इस अहम मौक़े को और भी ज़्यादा meaningful बनाती है।
मैंने खुद कई दफ़न में शिरकत की है, और हर बार ये एहसास होता है कि ये दुआ कितनी ताकतवर है। ये सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि एक गहरा रिश्ता है जो हमें मरहूम से जोड़ता है।
ये दुआएँ हमें याद दिलाती हैं कि हम सब मिट्टी से आए हैं और एक दिन मिट्टी में ही लौट जाएंगे। मेरा खुद का experience कहता है कि इन दुआओं को याद कर लेना बहुत ज़रूरी है।
ऐसा करने से आप किसी भी दफ़न में शामिल होकर अपने दिल से दुआ कर पाएंगे, बिना किसी किताब या फोन की मदद के। याद रखें, ये सिर्फ़ लफ्ज़ नहीं हैं। ये एक गहरी इबादत है जो हमें अपने क्रिएटर से जोड़ती है और हमें अपनी मौजूदगी का मक़सद याद दिलाती है
Mitti Dene Ki Dua in Hindi – मिट्टी देने की दुआ हिंदी मे
मिट्टी देने की दुआ हिंदी मे
पहली दफा मिट्टी देने की दुआ – मिन्हा खलकना कुम
दुसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – व फिहा नुईदुकुम
तिसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा
Mitti Dene Ki Dua in Arabic – मिट्टी देने की दुआ अरबी मे
मिट्टी देने की दुआ अरबी मे
पहली दफा मिट्टी देने की दुआ – مِنْهَا خَلَقْنَاكُمْ
दुसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ
तिसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ
Mitti Dene Ki Dua in English – मिट्टी देने की दुआ इंग्लिश मे
मिट्टी देने की दुआ इंग्लिश मे
पहली दफा मिट्टी देने की दुआ – Minha Khalaq Na Kum
दुसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – Wa Feeha Nooidukoom
तिसरी दफा मिट्टी देने की दुआ – Wa Minha Nukhri Zukum Tartan Ukhra
मुर्दे को कब्र में उतारने की दुआ
मुर्दे को क़ब्र में उतारते वक़्त ये दुआ पढ़नी चाहिए –
बिस्मिल्लाही आला मिल्लाती रसूलिल्लाह
तजुरमा: अल्लाह के नाम से और रसूल अल्लाह सल्लेलाहू अलेही वसल्लम के मिल्लत पर हम इसे दफन कर रहे हैं
Mitti Dene Ki Dua Ka Tarjuma
अल्लाह तआला ने हमें बताया है कि:
- हमने तुम्हें इसी धरती से बनाया है।
- जब तुम मरोगे, तो हम तुम्हें इसी मिट्टी में वापस भेज देंगे।
- क़यामत के दिन, हम तुम्हें फिर से इसी मिट्टी से जिंदा करेंगे।
यह दुआ हमें याद दिलाती है कि हम सब मिट्टी से बने हैं और एक दिन मिट्टी में ही लौट जाएंगे। यह हमें अल्लाह की कुदरत को समझने में मदद करती है।
जब कोई मुसलमान दफ़नाया जाता है, तो इस दुआ को पढ़ा जाता है। यह हमें मौत के बाद के ज़िन्दगी की याद दिलाती है और अल्लाह की रहमत की उम्मीद देती है।
Mitti Dene Ki Dua Meaning
जब किसी मुसलमान का जनाज़ा होता है, तो दफ़न के वक्त एक खास दुआ पढ़ी जाती है। इसे “मिट्टी देने की दुआ” कहते हैं। ये दुआ अरबी में पढ़ी जाती है, जिसका हिंदी में मतलब कुछ ऐसा होता है:
“इसी मिट्टी से हमने तुम्हें बनाया, इसी में तुम्हें वापस लौटा रहे हैं, और इसी से तुम्हें दोबारा उठाएंगे।”
ये दुआ हमें याद दिलाती है कि:
- अल्लाह ने हमें धरती की मिट्टी से बनाया है।
- मरने के बाद हम फिर से मिट्टी में मिल जाते हैं।
- क़यामत के दिन अल्लाह हमें फिर से जिंदा करेगा।
ये दुआ मुसलमानों को मौत और ज़िंदगी के बारे में सोचने का मौक़ा देती है। ये हमें याद दिलाती है कि दुनिया में हमारा वक्त कम है, और हमें नेक काम करने चाहिए।
कब्र पर मिट्टी डालने का सही तरीका
कब्र पर मिट्टी डालना एक ज़रूरी इस्लामिक रिवाज है। इसे सही तरीके से करने के लिए इन करें:
शुरुआत: सिरहाने की तरफ से दोनों हाथों से मिट्टी उठाएं।
पहली बार मिट्टी डालना:
दुआ पढ़ें: “मिनहा खलक्नाकुम”
मिट्टी को धीरे से कब्र पर डालें
दूसरी बार मिट्टी डालना:
दुआ पढ़ें: “व फीहा नुईदुकुम”
फिर से मिट्टी कब्र पर डालें
तीसरी और आखिरी बार:
दुआ पढ़ें: “व मिनहा नुख्रिजुकुम तारतन उखरा”
आखिरी बार मिट्टी डालें
इन बातों का ध्यान रखें:
- हर बार मिट्टी गेंटलनेस से डालें
- अगर हो सके तो सभी लोगों के मिट्टी डालने तक वहीं रहें
- इस दौरान लगातार दुआएं पढ़ते रहें – यह एक नेक अमल माना जाता है
- कब्र के पास रहते हुए पहला कलमा पढ़ना भी अच्छा माना जाता है। मिट्टी डालने के बाद हाथों को या तो धो लें या अच्छी तरह से झाड़ लें।
इसके बाद कुछ देर कब्र के पास रुकें और मरहूम के लिए दुआ करें या सूरह की तिलावत करें। ऐसा करने से उन्हें कब्र के अज़ाब से राहत मिलने और सवालात में आसानी होने की उम्मीद की जाती है।
इस तरीके से आप इस्लामिक तरीके से कब्र पर मिट्टी डालने का फर्ज अदा कर सकते हैं।
आखिरी लफ्ज़
इस लेख में हमने Qabar Par Mitti Dene Ki Dua और उसका सही तरीका बताया है। साथ ही जनाजे से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें भी शामिल की हैं।
आप यहाँ दुआ को कई ज़ुबानों में पढ़ सकते हैं। हमने दुआ को हिंदी, अंग्रेजी और अरबी में लिखा है, ताकि आप अपनी पसंदीदा भाषा में इसे समझ सकें।
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद, इंशाअल्लाह आप हमेशा कब्र पर मिट्टी डालते वक्त यह दुआ पढ़ेंगे। अगर आपको कुछ समझ नहीं आया या कोई सवाल है, तो आप कमेंट कर सकते हैं।
हम आपके सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। हमारा मकसद है कि हम अपने दीन के बारे में आसान तरीके से जानकारी पहुंचा सकें। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी, तो कृपया इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करें।
यह एक नेक काम होगा और आपको सवाब मिलेगा। याद रखें, अगर आपके मन में कोई शक या सवाल है, तो बेझिझक पूछें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे।
अल्लाह हम सभी को सही राह दिखाए और हमारे इल्म में इजाफा करे। आमीन।
कुछ अहम सवाल (FAQs)
मिट्टी देते समय यह दुआ पढ़नी चाहिए: “मिन्हा खलाकनाकुम वफीहा नुइदुकुम वमिन्हा नुखरीजुकुम तारतन ‘उखरा”। इस दुआ का मतलब है कि हम मिट्टी से पैदा हुए हैं, मिट्टी में लौट जाएंगे, और एक दिन फिर से मिट्टी से उठाए जाएंगे।
कब्र की मिट्टी को “तुरबा” कहते हैं। यह शब्द अरबी भाषा से लिया गया है।
मिट्टी डालते समय “ला इल्लाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर रसुलुल्लाह” पढ़ा जाता है। इसका मतलब है कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद उनके रसूल हैं।
मरहूम के लिए यह दुआ करें: “अल्लाहूम्मा इन्ना फुलानाबना फुलानीन फिजिम्मादिका वाहाबली जिवारिका फकीदी मीन फितनातीलकबरी वाअजाबिन्नार”। इस दुआ का तर्जुमा है: “हे अल्लाह, फलां बिन फलां तेरे जिम्मे और तेरी पनाह में है, इसे कब्र की आजमाइस और आग के अजाब से बचा।”
जब आप परेशान हों, तो यह दुआ पढ़ें: “हस्बुनल्लाहु व नीअमल वकील”।
कब्र पर जाएं तो यह दुआ पढ़ें: “अस्सलामु अलैकुम या अहलल कुबरी यगफिरुल्लाहू लाना वा लाकुम वा अंतुम सलाफूना वा नहनू बिल असारी”। इसका तर्जुमा है: “ये कब्र वालों, तुम पर सलाम हो! अल्लाह हमें और तुम्हें माफ करे।”
कब्र में दफनाते समय यह दुआ पढ़नी चाहिए: “बिस्मिल्लाही आला मिल्लाती रसूलिल्लाह”। इसका तर्जुमा है: “अल्लाह के नाम पर और रसूल अल्लाह के तरीकों पर।”
कब्रिस्तान में यह दुआ पढ़ें: “अस्सलामु अलैकुम या अहलल कुबरी यगफिरुल्लाहू लाना वा लाकुम”।
कब्र का दूसरा नाम “मकबरा” भी है।
किसी के मरने की खबर सुनकर यह दुआ पढ़नी चाहिए: “इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजिउन”। इसका तर्जुमा है: “हम सब अल्लाह के लिए हैं और हमें लौटकर अल्लाह की तरफ ही जाना है।”
मिट्टी देने की दुआ है: “मिन्हा खलाकनाकुम वफीहा नुइदुकुम वमिन्हा नुखरीजुकुम तारतन ‘उखरा”।