Introduction to Dua E Qunoot
दुआ ए क़ुनूत एक महत्वपूर्ण दुआ है जो वित्र की नमाज में पढ़ी जाती है। इसका उद्देश्य अल्लाह से मदद, रहमत और हिदायत मांगना है। यह दुआ मुसलमानों को अल्लाह के करीब लाने और नमाज को अधिक मूल्यवान बनाने का माध्यम है।
Importance of Dua E Qunoot
दुआ ए क़ुनूत नमाज का एक विशेष हिस्सा है, खासकर वित्र की नमाज में। यह दुआ अल्लाह से गाइडेंस और माफी की दरख्वास्त करने के लिए है। इसका पढ़ना न केवल धार्मिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक सुकून भी प्रदान करता है।
Dua E Qunoot in Arabic (Hanfi)
اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشآئ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ
Dua E Qunoot in Hindi (Hanfi)
अल्लाह हुम्मा इन्ना नास्ता-ईनोका वा नास्ताघफिरुका वा नु’मिनु बिका वा नटवक्कालु अलाइका वा नुस्नी अलैकाल खैर, वा नश्कुरुका वाला नक्फुरुका वा नखला-ऊ वा नटरुकु माई यफजुरूका, अल्लाह हुम्मा इय्याका ना’बुदु वा लाका नुसल्ली वा नस्जुद वा इलाइका नास आ वा नहफिजु वा नरजू रहमा तका वा नख्शा अजाबाका इन्ना अजाबाका बिल कुफ़री मुलहिक:
Translation of Dua E Qunoot (Hanfi)
हे अल्लाह, हम तुझसे मदद मांगते हैं, और तुझसे माफी चाहते हैं, तुझ पर ईमान रखते हैं और तुझ पर भरोसा करते हैं, और तेरी प्रशंसा करते हैं, और तेरा शुक्र अदा करते हैं और तेरी नाशुक्री नहीं करते, और अलग करते हैं और छोड़ते हैं उस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करे। हे अल्लाह, केवल तुझसे ही हम इबादत करते हैं और केवल तेरे लिए ही हम नमाज पढ़ते हैं और सजदा करते हैं, और तेरी तरफ दौड़ते और झपटते हैं और तेरी रहमत के हकदार हैं और तेरे आजाब से डरते हैं, बेशक तेरा आजाब काफिरों को पहुंचने वाला है।
Dua E Qunoot in Arabic (Shafi)
اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيمَنْ هَدَيْتَ وَعَافِنِي فِيمَنْ عَافَيْتَ وَتَوَلَّنِي فِيمَ تَوَلَّيْتَ وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ إِنَّكَ تَقْضِي وَلاَ يُقْضَى عَلَيْكَ وَإِنَّهُ لاَ يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ وَلاَ يَعِزُّ مَنْ عَادَيْتَ تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَتَعَالَيْتَ
Dua E Qunoot in Hindi (Shafi)
अल्लाहुम्महदिनी फीमन हदैत, वआफिनी फीमन आफैत व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, वबारिक ली फीमा अ’तैत, वकिनी शर-र मा कज़ैत, फइन्न-क तकज़ी वायुकज़ा अलैक, वइन्नहू ला यजिल्लु मंव वालैत, तबारक – रब्बना व तआलैत:
Translation of Dua E Qunoot (Shafi)
हे अल्लाह, मुझे हिदायत देकर उन्हें शामिल कर ले जिन्हें तूने हिदायत दी, और मुझे आफियत देकर उन्हें शामिल कर ले जिन्हें तूने आफियत दी, और मुझे अपना दोस्त बना ले, और अपने दोस्तों में शामिल कर ले, और जो कुछ तूने दिया है उसमें मुझे बरकत दे और मुझे उससे बचा जिसके होने का तूने फैसला किया है, बेशक तू ही हुक्म देता है और कोई तुझ पर हुक्म नहीं कर सकता और बेशक वह कभी जलील नहीं होता जिससे तूने दोस्ती की हो। तू मुबारक है, हे हमारे रब, और तू बुलंद है।
Frequently Asked Questions about Dua E Qunoot
1. वित्र की नमाज़ का वक्त क्या है?
वित्र की नमाज का वक्त इशा की नमाज के बाद से लेकर फजर से पहले तक होता है। यह नमाज रात के आखिरी हिस्से में बेहतर होती है क्योंकि इस वक्त अल्लाह की रहमत का ज़्यादा नूर होता है।
2. दुआ क़ुनूत की अहमियत क्या है?
दुआ क़ुनूत वित्र की नमाज में एक ख़ास दुआ है, जो अल्लाह से मदद और रहमत मांगने के लिए पढ़ी जाती है। यह दुआ हमें खुदा के करीब ले जाती है और हमारे गुनाहों की माफी की दरख्वास्त होती है।
3. वित्र की नमाज़ का तरीका क्या है?
वित्र की नमाज तीन रकात होती है। पहली दो रक’आत में सूरह फातिहा और क़ुरान की किसी सूरह का तिलावत किया जाता है, और तीसरी रक’आत में दुआ क़ुनूत पढ़ी जाती है।
4. दुआ क़ुनूत किस तरह से पढ़ी जाए?
दुआ क़ुनूत को तीसरी रक’आत में रुकू से पहले पढ़ा जाता है। इस वक्त हाथ ऊपर करके अल्लाह से दुआ करते हैं।
5. अगर दुआ क़ुनूत भूल जाएं तो क्या करें?
अगर दुआ क़ुनूत भूल जाएं, तो नमाज के बाद या रुकू के बाद भी अल्लाह से दुआ कर सकते हैं।
6. वित्र की नमाज़ का क़सर (छोटा करना) कैसे किया जाए?
वित्र की नमाज का क़सर नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक फर्ज नमाज है। सफर के दौरान इशा की नमाज को क़सर किया जा सकता है, लेकिन वित्र हमेशा तीन रकात ही पढ़नी चाहिए।
7. क्या वित्र की नमाज़ जमात में पढ़ी जा सकती है?
वित्र की नमाज जमात में भी पढ़ी जा सकती है। मस्जिद या किसी और जगह पर इमाम के साथ मिलकर वित्र की नमाज पढ़ सकते हैं।
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