सूरह रहमान कुरान शरीफ की 55वीं सूरत है, जिसे “कुरान का दुल्हन” भी कहा जाता है। इस लेख में हम सूरह रहमान के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके अर्थ, फज़ीलत और पढ़ने के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
सूरह रहमान का परिचय
- सूरत का नाम: अर-रहमान (परम दयालु)
- आयतों की संख्या: 78
- प्रकार: मक्की सूरत
- नुज़ूल का क्रम: 97वां
सूरह रहमान का नाम अल्लाह के नाम “अर-रहमान” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “परम दयालु”। यह सूरत अल्लाह की दया और उसकी नेमतों का वर्णन करती है।
सूरह रहमान की विशेषताएं
- कुरान का दुल्हन: हदीस में इसे “अरूसुल कुरान” यानी कुरान का दुल्हन कहा गया है।
- बार-बार दोहराया गया आयत: इस सूरत में 31 बार “फबिअय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज्जिबान” (तो तुम अपने रब की कौन-कौन सी नेमतों को झुठलाओगे?) दोहराया गया है।
- अल्लाह की नेमतों का वर्णन: इसमें अल्लाह की अनगिनत नेमतों का ज़िक्र किया गया है।
सूरह रहमान का अरबी पाठ और हिंदी अनुवाद
यहाँ सूरह रहमान की कुछ प्रमुख आयतें दी गई हैं:
- بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम अर्थ: अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है।
- الرَّحْمَٰنُ अर-रहमानु अर्थ: रहमान (परम दयालु)
- عَلَّمَ الْقُرْآنَ अल्लमल कुरआन अर्थ: उसने कुरान की शिक्षा दी
सूरह रहमान पढ़ने की फज़ीलत
- हदीस में आया है कि सूरह रहमान पढ़ने वाले पर अल्लाह की रहमत होती है।
- इसे पढ़ने से दिल में नूर पैदा होता है और ईमान मज़बूत होता है।
- मुश्किलों और परेशानियों से निजात मिलती है।
सूरह रहमान पढ़ने का तरीका
- वुज़ू करके पाक साफ हो जाएं
- किब्ला रुख होकर बैठें
- बिस्मिल्लाह पढ़कर शुरू करें
- ध्यान से और समझ कर पढ़ें
- अर्थ पर गौर करें
सूरह रहमान कुरान की एक बेहद खूबसूरत और अर्थपूर्ण सूरत है। इसे नियमित रूप से पढ़ने और समझने से हमारा ईमान मज़बूत होता है और अल्लाह की नेमतों के प्रति शुक्रगुज़ारी बढ़ती है।
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