Ghusl Ki Dua – ग़ुस्ल करने की दुआ और सही तरीका

Ghusl Ki Dua. ग़ुस्ल, इस्लामी शरीयत में एक महत्वपूर्ण इबादत है जो शारीरिक और रूहानी पाकीज़गी के लिए की जाती है। इस लेख में, हम ग़ुस्ल की दुआ और इसका सही तरीका जानेंगे।

यहां पर ग़ुस्ल से जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को स्पष्ट और आसान भाषा में समझाया गया है ताकि आप सही तरीके से ग़ुस्ल कर सकें।

ग़ुस्ल की दुआ क्या है?

आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि ग़ुस्ल की दुआ कौन सी है। वास्तव में, ग़ुस्ल करने की कोई खास दुआ नहीं होती है। ग़ुस्ल से पहले सिर्फ नियत करनी होती है। नियत का मतलब है दिल से इरादा करना। ग़ुस्ल का मकसद है नापाकी को दूर कर खुद को पाक करना।

ग़ुस्ल की नियत हिंदी में

इस्लाम में हर नेक काम से पहले नियत करना सवाब का कारण होता है। ग़ुस्ल करने से पहले भी नियत करना चाहिए। नियत दिल का इरादा है, अगर आप ने दिल में ग़ुस्ल करने का इरादा किया तो यह काफी है। अगर आप इसे अरबी में पढ़ना चाहते हैं, तो इस तरह कहें: “Nawaitu An Agtasil Min Ghusli Lirfaa’il Hadsi” (नवैतु अं अग्तासिल मिन गुस्ली लिरफालिल हदसी)

ग़ुस्ल का सही तरीका

ग़ुस्ल के तीन फ़र्ज़ होते हैं:

  1. कुल्ली करना
  2. नाक में पानी डालना
  3. पूरे बदन पर पानी बहाना

ग़ुस्ल करने के स्टेप्स:

  1. नियत करें: सबसे पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ कर नियत करें।
  2. हाथ धोएं: अपने दोनों हाथों को कलाई तक तीन बार अच्छी तरह से धोएं।
  3. शर्मगाह साफ करें: शर्मगाह को धोएं और साफ करें।
  4. नजासत हटाएं: शरीर पर लगी नजासत (गंदगी) को साफ करें।
  5. वुजू करें: मुंह में गरारे करें, नाक में पानी डालें, चेहरे को धोएं, और हाथों को कोहनी तक धोएं।
  6. सिर का मसाह: सिर का मसाह करें और कानों को साफ करें।
  7. बदन पर पानी फैलाएं: तीन बार दाहिने कंधे, फिर बाएं कंधे, और अंत में पूरे बदन पर पानी बहाएं। ध्यान रखें कि बदन का कोई भी हिस्सा सूखा न रहे।
  8. अंगूठी और बाल: अंगूठी पहने हों तो उसे घुमाकर पानी पहुंचाएं। महिलाएं अपने बाल खोल दें ताकि हर जड़ तक पानी पहुँच सके।
  9. किबला की तरफ मुंह न करें: ग़ुस्ल करते समय किबला की तरफ मुंह न करें और न ही कोई दुआ या कलाम पढ़ें।

ग़ुस्ल के बाद

ग़ुस्ल पूरा होने के बाद, अपने नियमित कपड़े पहनें और अपनी रोज़मर्रा की इबादत या अन्य कार्य जारी रखें। ग़ुस्ल न सिर्फ शारीरिक पाकीज़गी के लिए बल्कि रूहानी सफाई के लिए भी महत्वपूर्ण है। ग़ुस्ल के बाद आपको नई ऊर्जा और ताजगी महसूस होनी चाहिए।

ग़ुस्ल की शर्तें

  1. नियत करना: नियत करना जरूरी है।
  2. पूरे बदन पर पानी पहुँचाना: बदन का कोई भी हिस्सा सूखा नहीं रहना चाहिए।

तैयम्मुम

अगर किसी वजह से आप ग़ुस्ल नहीं कर पा रहे हैं और नमाज़ का वक्त हो गया है, तो तैयम्मुम कर लें, जो पानी न मिलने पर एक शरई विकल्प है।

आखिरी लफ्ज़

ग़ुस्ल एक महत्वपूर्ण इबादत है जिसे सही तरीके से करना चाहिए। उम्मीद है कि इस लेख से आपको ग़ुस्ल करने का सही तरीका समझ में आया होगा। अगर आपके पास इससे संबंधित कोई सवाल हो या कुछ अन्य जानकारी चाहिए हो, तो नीचे कमेंट सेक्शन में ज़रूर लिखें। अल्लाह हाफ़िज़।

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